हाल ही में IIT बॉम्बे में Divya Gandotra Tandon के डांस ने समाज में काफी चर्चाएं और विवाद पैदा कर दिए हैं। यह डांस विद्या के मंदिर IIT Bombay में हुआ, जिससे कई लोगों की धार्मिक भावनाएं ठेस पहुंची हैं। इस डांस पर लोगों ने अलग अलग प्रतिक्रियाएं दी है , आइये उनके बारे में जानते है।
इस पोस्ट पर एक यूजर ध्रुव पांडेय लिखते है की मोरल पुलिसिंग के बिना और दूसरों की इच्छाओं पर नियंत्रण करने की कोशिश किए बिना इसे रोकना मुश्किल है। इसे रोकने का एकमात्र तरीका सोशल मीडिया और ओटी ऐप्स पर अश्लीलता जैसे मुद्दों पर ध्यान देना है।
साई सुसरित जी लिखते है कि लोग फिल्मों के आइटम गानों को गलत समझते हैं और कॉलेजों में होने वाले डांस को आगे बढ़ने वाला मानते हैं। ये तो एक अजीब सी बात है!
Pixelwhisp जी लिखते है कि अगर आपको कोई दिक्कत है, तो आप औपचारिक रूप से शिक्षा मंत्री या मंत्रालय के पास शिकायत कर सकते हैं। ये हमास और हेज़ोबुल्लाह डेन के शिक्षा परिसर के तहत एक बड़े क्षेत्र में फैले हुए हैं।
इसके अलावा काफी लोगो ने अपने रिएक्शन दिए है। कुछ लोग इसे युवाओं की आज़ादी का प्रतीक मानते हैं, जबकि दूसरे इसे धार्मिक भावनाओं का अपमान समझते हैं। इस बहस ने हमें यह सोचने पर मजबूर किया है कि क्या हमारे समाज को बदलते समय के साथ अपनी पारंपरिक सोच में बदलाव लाने की जरूरत है?
आईआईटी बॉम्बे में हुए इस डांस के पीछे कई बातें छिपी हुई हैं। हमें इसे सिर्फ एक घटना के तौर पर नहीं देखना चाहिए, बल्कि इसके सामाजिक, सांस्कृतिक और धार्मिक पहलुओं को भी समझना चाहिए। यह जरूरी है कि हम अपनी युवा पीढ़ी की अभिव्यक्ति को प्रोत्साहित करें, लेकिन साथ ही परंपराओं का भी आदर करें।
आपका इस पर क्या कहना है? क्या आपको लगता है कि ऐसे प्रदर्शन समाज में बदलाव ला सकते हैं, या ये सिर्फ विवाद पैदा करते हैं? अपने विचार हमारे साथ शेयर करें!